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क्वान्टम कंप्यूटर | कंप्यूटर का मस्तिस्क पर प्रभाव | कृत्रिम बुद्धिमत्ता

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क्वान्टम कंप्यूटर, कंप्यूटर के विकास की अगली पीढ़ी है जो अति तीव्र गति, भरोसेमंद और निम्न त्रुटिपूर्ण कंप्यूटर प्रणाली के नाम से जानी जाएगी। इसकी खोज के लिए मैक्स प्लांक ने 1980 में सिद्धांतों पर प्रकाश डाला था। ये कंप्यूटर आम कंप्यूटरों की तरह 0 या 1 यानि बिट पीएस नि चलेगा यह क्यूबिट्स पर चलता है यानि बिट्स का समूह जैसे 0,1 या 1,1 जिन्हे क्यूबिट्स कहते हैं, यह बीटों की सुपर स्थिति होती है। इस प्रणाली से बने कंप्यूटर आज के कम्प्यूटरों से लाखों करोड़ो गुना तेज होंगे। यह कंप्यूटर हजारों साल में पूरी होने वाली गणना को केवल 1 या 2 दिनों में ही पूर्ण कर सकता है।

इस तरह के कंप्यूटर को बनाने की होड हगी हुई है जिसमें IBM, GOOGLE भी शामिल हैं। यह मशीन देखने में गैस के सिलेन्डर जिसमे मशीन को अधिक ठंडा करने वाली गैस भरी होगी जैसा दिखाई देगा। इस तरह की प्रणाली को विकसित करने के भौतिकी की शाखा क्वान्टम मैकेनिक्स पर अध्ययन किया जा रहा है जिसमें परमाणु से भी छोटे कण क्वार्क की कल्पना की जाती है एवं इसे ही मूल कण बताया जाता है। भौतिकी की इसी शाखा से हम टेलीपोर्टेसन जैसे तथ्यों को अंजाम दे सकते हैं, इन कम्प्यूटरों के आने के बाद वो दिन भी दूर नही होगा जब पदार्थ को बिना किसी प्रत्यक्ष माध्यम के एक स्थान से दूसरे स्थान में पहुंचा दिया जाएगा।

आज हम इस प्रणाली का प्रयोग नही कर सकते हैं, क्यूकी इसकी गति ही हमारे लिए हानिकारक है, इस किस्म की आधुनिक एवं उन्नत प्रणाली आज के समय में बनी सुरक्षा प्रणाली को बहुत ही आसानी से पार कर सकती है जिससे कि सी भी तरह की सुरक्षा को खतरा है। यह कंप्यूटर इतना तेज होगा की एक सेकेंड में ही सारे इंटरनेट में दूर दूर तक पहुँच सकता हैं

मस्तिस्क व कंप्यूटर

मस्तिस्क सजीवों की सबसे उन्नत एवं जटिल वस्तु या अंग जिसे सभी संवेदनाओं का केंद्र कहा जाता है। मनुष्यों में मस्तिस्क लगभग 1300 ग्राम का होता है जो न्यूरान कोशिकाओं से बना होता है, हलाकी आज तक दिमाग के बारे में जायदा खोजें संभव नही हो पायी हैं दिमाग का कौन सा हिस्सा क्या काम करता है यह अभि तक एक पहेली ही बना हुआ है। किन्तु कुछ महत्वपूर्ण खोजे हुई है जो की कम भी नहीं है। दिमाग के बारे में विभिन्न देशो के वैज्ञानिकों ने अनेक प्रयोग किए हैं एवं यह पता लगाने की कोसिस किया की इसे काबू में केसे करें पर अब तक अधिक कामयाबी हासिल नही हो पायी है। हमारे दिमाग का अधिकतम लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा हमारे वश में नही होता है

मनुष्य का दिमाग कंप्यूटर कई गुना अधिक शक्तिशाली होता है इंसानी दिमाग व कंप्यूटर दोनों ही कई सारे निर्णय लेने में निपूर्ण होते हैं किन्तु सही या गलत केवल मस्तिस्क द्वारा ही संभव है जटिल तार्किक निर्णय लेना भी कंप्यूटर द्वारा अभी संभव नही। किन्तु कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने आधुनिक युग में एक क्रांति ही ल दिया है। आज लगभग सभी कार्य कंप्यूटर द्वारा हो रहे है, वे कार्य भी कंप्यूटर से संभव हैं जो मनुष्य की पहुँच से कोशों दूर हैं।

स्मृति एवं भंडारण के बारे में बात करें तो यह भी अविसवसनीय है, जो इशानों से काफी आधिक है। मनुष्य जाती का अपने स्वयं के मशतिष्क पर दूर – दूर तक कोई नियंत्रण नहीं है आज तक सबसे आधिक नियंत्रित दिमाग बारे में सोचें तो वह केवल 13 से 14 प्रतिशत है जो किसी महापुरुष का है, कई मायनों में लोगो दिमाग की पहुँच को योगक्रिया अथवा अध्यात्म से भी जोड़ते हैं।

कंप्यूटर एवं इंशानों तुलना

कंप्यूटर मानव मस्तिस्क की तुलना में काफी समानता रखता है जैसे दोनों गणना कर सकते हैं किसी बात को याद कर सकते है, देख सकते हैं दिखा सकते हैं कुछ काम एसे हैं जो मनुष्य का दिमाग नही कर सकता है जैसे ढेरों डाटा को हूबहू याद रखना एक दूसरे से बिना तार संबंध बनाना एक ही कार्य को उसी दक्षता के साथ बार बार करना एवं कुछ मायनों में गति भी दोनों को अलग बनती है।

कुछ कार्य एसे भी हैं जो कंप्यूटर नही कर सकता जैसे प्राकृतिक बुद्धिमत्ता, गति, स्मृति, भंडारण क्षमता, आदि। दोनों में मुख्य अंतर यह है की मनुष्य का दिमाग ऊर्जा शरीर से लेता है जिसकी हमेशा पूर्ति आसानी से की जा सकती है। किन्तु कंप्यूटर को बिजली की आवश्यकता होती है जो इसकी सबसे बड़ी कमियों में से एक है।

कंप्यूटर का मस्तिस्क पर प्रभाव

कम्प्यूटर्स हमारे जीवन को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष दोनों रूपों से प्रभावित करते हैं प्रमुखता से कहें तो कम्प्यूटरों के आने के बाद से हम अपने मस्तिस्क को पंगु समझने लगे हैं, आज हम हर छोटे से छोटे काम को कंप्यूटर द्वारा करने की सोचते हैं इसी सोच के कारण हम दिमाग का प्रयोग कम करते हैं। कम्प्यूटरों के आने के बाद से रेडिएशन की मात्रा में भी काफी वृद्धि हुई है जीससे मस्तिस्क की कोशिकाएँ कमजोर होती हैं, जिसे नकारा नही जा सकता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता

आज हम मानवों की बराबरी के कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकाश में लगे हैं जो मानव मस्तिस्क की बराबरी कर सके इस क्षेत्र में हमने काफी सफलता भी हासिल किया है आज कृत्रिम मानव मशीन (रोबोट) का आविष्कार भी हो चुका है जिसमें अपनी स्वयं की बुद्धिमत्ता होती है जो मानव जैसे ही कार्य कर सकते हैं बल्कि मानवों से भी उन्नत है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अन्य प्रयोग वृहद रूप से चिकित्सा, खगोल, श्रम, आदि में भी किए जाते हैं। किन्तु कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानवों के लिए घटक भी हो सकती है जो जब यह अपने आप की स्वतंत्र समझने लगे।

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