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मनुष्य और पर्यावरण

अमेरिका की प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता मिस सेम्पल के अनुसार ‘मानव अपने पर्यावरण की उत्पत्ति है’। पर्यावरण यानि हमारे चारों और मौजूद जीव-अजीव घटकों का आवरण, जिससे हम घिरे हुए हैं जैसे कि जीव-जंतु, जल, पौधे, भूमि और हवा जो प्रकृति के संतुलन को अच्छा बनाएं रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

प्राचीन काल मे पर्यावरण प्रदूषण जैसी कोई समस्या नहीं थी। लेकिन आज विकास के नाम पर विज्ञान और तकनीकों के बढ़ते प्रयोग के परिणाम स्वरूप पर्यावरण दूषित हो रहा है, जिसकी वजह से हमारा वर्तमान तो बुरी तरह प्रभावित हो ही रहा है,लेकिन हमारा भविष्य भी संकट में है।

आज विश्व के सभी देश स्वयं को विकसित एवं शक्तिशाली बनाने की दौड़ में शामिल होकर परमाणु बम तथा हाइड्रोजन बम जैसी शक्तियों का निर्माण कर चुके है, जो ना केवल किसी देश को बल्कि सम्पूर्ण विश्व को बर्बाद करने की ताकत रखता है। यही नहीं मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रकृति की संपत्तियों को नष्ट कर रहा है जिसके फलस्वरूप आज प्रकृति के अमूल्य कोष समाप्त होने की कगार पर है। जो हमारी भावी पीढ़ी के लिए खतरे का संकेत है।

विकास की दौड़ में पर्यावरण की उपेक्षा हो रही है। इसके लिए मानव समाज को पर्यावरण को बचाने व बढ़ाने की जरूरत है। इससे भविष्य में पर्यावरण संकट कम हो सकता है।

लेकिन अफसोस कि मनुष्य विकास के नाम पर वनों और पेड़ –पौधो को काट रहें हैं। जिसकी वजह से वायु प्रदूषण, कम वर्षा, उपजाऊ ज़मीन का बंजर होना जैसी अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। अत्याधुनिक तकनीक की मदद से इंसानों ने मोटर वाहनों का निर्माण तो कर लिया, लेकिन इसी के साथ ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। और लोग अलग-अलग बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।

विकास के चक्कर में लोग यह भूलते जा रहे हैं कि हमारा जीवन प्रकृति की ही देन है, पृथ्वी पर जीवन है तो इसका कारण केवल पर्यावरण की उपस्थिती है।

पर्यावरण प्रदूषण ने आज इतना विनाशकरी रूप धारण कर लिया है, जिसे देखकर वैज्ञानिको का कहना है की यदि जल्द ही पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्या को खत्म नहीं किया गया, तो सम्पूर्ण मानव जाती का अस्तित्व खतरें में पड़ सकता है। आज विश्व की सभी महाशक्तियां इसी विषय पर विचारशील है कि इस समस्या से कैसे बचा जाए। मनुष्य जाति के लिए अब यह आवश्यक हो गया है कि हम पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्या को समझें और उसे कम करने हेतु प्रयास करें यहीं समय की मांग है, और मानव जाति के अस्तित्व को बचाने हेतु एकमात्र विकल्प भी।

Krishna Mishra

About Author: Krishna Mishra has a total work experience of 2 years in the corporate world. He is a Software Engineer and has been working with STEM Learning for the last 2 months.

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