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मेरी अयोध्या यात्रा

अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक अति प्राचीन धार्मिक नगर है। यह पवित्र सरयू नदी के तट पर बसा है। इस नगर को मनु ने बसाया था और इसे ‘अयोध्या’ का नाम दिया जिसका अर्थ होता है अ-युध्य अथार्थ ‘जिससे युध्य करना असंभव हो।’ इसे ‘कौशल देश’ भी कहा जाता था। अयोध्या नगरी, जहां भगवान श्रीराम का जन्म हुआ, जहां महाकाव्य रामायण की शुरुवात हुई और जहां रामायण का समापन भी हुआ। अयोध्या नगरी, जिसके बारे में भारत वर्ष में पैदा हुआ बच्चा-बच्चा जानता है।

भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है अयोध्या, जिसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है।

पौराणिक, धार्मिक एवं ऐतिहासिक रूप से यहां कई महत्वपूर्ण स्थान है, जिन्हें पर्यटन के दृष्टिकोण से प्रमुख माना जा सकता है। अयोध्या दर्शन की शुरुआत होती है सरयू नदी के घाट पर स्नान से। स्नान करने के लिए नदी के तट पर कई प्रमुख घाट हैं जैसे, नया घाट, लक्ष्मण घाट, झुंकी घाट इत्यादि।

  1. राम की पैड़ी – राम की पैड़ी सरयू नदी के तट पर घाटों की एक श्रृंखला है। उद्यान एवं जलाशय यहां के आकर्षण हैं। खासकर पूर्णिमा की रात में यहां बहुत सुन्दर नज़ारा होता है। ऐसी मान्यता है कि यहां नदी में डुबकी लगाने से लोग पाप मुक्त होते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार लक्ष्मण जी सभी तीर्थ स्थानों का भ्रमण करने के लिए जाना चाहते थे। तब श्री राम ने यह कहते हुए सरयू नदी के किनारे इस पैड़ी की स्थापना की थी, कि संध्या के समय सभी तीर्थ स्वयं यहां पर स्नान करने के लिए प्रस्तुत होंगे। अत: उस अवधि में जो भी इसमें स्नान करेगा उसे सभी तीर्थों के समान ही पुण्य की प्राप्ति होगी।
  2. तुलसी उद्यान – राम की पैड़ी के धार्मिक वातावरण का अनुभव करने के बाद जब आप मुख्य राजमार्ग से फैजाबाद की तरफ बढ़ते हैं तो 500 मीटर की दूरी पर स्थित है तुलसी उद्यान, जिसे अवधी भाषा के महाकाव्य रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास जी की स्मृति में बनवाया गया है। 1960 से पहले इस जगह का नाम विक्टोरिया पार्क हुआ करता था। अंग्रेजों के शासनकाल में यहां पर इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया की प्रतिमा भी स्थापित की गई थी। बाद में 1960 में इसे तुलसी उद्यान का नाम दिया गया और गोस्वामी तुलसीदास जी की एक मूर्ति स्थापित की गई।
  3. हनुमान गढ़ी – रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम जब अयोध्या लौटे तो हनुमानजी ने यहां रहना शुरू किया। इसी कारण इसका नाम हनुमानगढ़ या हनुमान कोट पड़ा। यहीं से हनुमानजी रामकोट की रक्षा करते थे। मुख्य मंदिर में माता अंजनी की गोद में पवनसुत विराजमान हैं। अयोध्या के प्रमुख पर्यटन स्थलों में श्री राम जन्मभूमि के बाद इसका स्थान आता है। हनुमान जी को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 10वीं सदी में हुआ था। पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर तक जाने के लिए लोगों को 76 सीढ़ियां पार करनी पड़ती है।
  4. दशरथ महल – हनुमानगढ़ी से लगभग 150  मीटर आगे स्थित है राजा दशरथ का महल। इस भवन के मंदिर में श्री राम, लक्ष्‍मण और सीता की मूर्तियां स्थापित हैं। मंदिर में हमेशा वाद्य यंत्रों के साथ रामचरितमानस की चौपाइयां एवं दोहों का पाठ होता रहता है।
  5. कनक भवन – दशरथ महल से मात्र 200  मीटर आगे स्थित है कनक भवन। पौराणिक कथा के अनुसार यह महल माता कैकई ने सीता को मुंह दिखाई में दिया था।
  6. राम जन्मभूमि – यह अयोध्या स्टेशन से 2 किलोमीटर की दूरी पर रामकोट नामक पहाड़ी के ऊपर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि ये वहीं स्थान है, जहां पर विक्रमादित्य ने भगवान श्री राम का एक भव्य मंदिर बनवाया था। जिसे 1527 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने ध्वस्त करके बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया।
  7. बिरला मंदिर धर्मशाला – यह मंदिर अयोध्या के पुराने बस स्टैंड के ठीक सामने स्थित है। भगवान राम तथा देवी सीता को समर्पित यह मंदिर नव-निर्मित है। इसके साथ ही मंदिर परिसर में बिरला धर्मशाला की भी स्थापना की गई है। जहां रात में यात्री आराम करके सुबह अयोध्या दर्शन के लिए निकल जाते हैं।
  8. गुप्तार घाट – फैजाबाद कंपनी गार्डन के निकट सरयू नदी के किनारे स्थित है गुप्तार घाट। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने अपना राजपाट अपने पुत्र लव-कुश को सौंपने के बाद यहीं पर सरयू नदी के जल में गुप्त रूप से जल समाधि ली थी। 19वीं शताब्दी में यह घाट राजा दर्शन सिंह द्वारा निर्मित करवाया गया था। घाट के ऊपर सीताराम के साथ ही कई अन्य मंदिर भी हैं।
  9. बहू बेगम का मकबरा – फैजाबाद जंक्शन से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है बहू बेगम का मकबरा। अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने अपनी प्रिय पत्नी की याद में सन् 1816  में ताजमहल की भव्यता के समकक्ष इसे बनवाया था। इस मकबरे की ऊंचाई लगभग 42 मीटर है। यह जगह भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है।
  10. गुलाब बाड़ी – फैजाबाद स्टेशन से 3.5 किलोमीटर एवं घंटाघर से मात्र 700 मीटर की दूरी पर  स्थित है गुलाब बाड़ी। अवध के नवाब शुजाउद्दौला और उनके परिवार की कब्रगाह के रूप में इसे सन 1775 में स्थापित किया गया था। किसी जमाने में यहां पर गुलाबों की विभिन्न प्रजातियां उगाई जाती थी। लेकिन आज कुछ ही प्रजातियां शेष है। यह स्थान भी भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है।
Krishna Mishra

About Author: Krishna Mishra has a total work experience of 2 years in the corporate world. He is a Software Engineer and has been working with STEM Learning for the last 2 months.

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