पर्यावरण का अर्थ हमारे चारो ओर का वातावरण अर्थात वह जैव व अजैव घटक जो हमे चारो ओर से घेरे हुये या जिसमे हम रहते हैं। पर्यावरण के घटक के अंतर्गत पेड़ – पौधे , जीव –जन्तु, मनुष्य, वायु इत्यादी आते हैं। प्राचीन काल मे पर्यावरण प्रदूषण जैसी कोई समस्या नही थी परंतु आज विज्ञान के बढ़ते प्रयोग के फल स्वरूप पर्यावरण प्रदूषण जैसी कठिन समस्या उत्पन्न हो गई है। जिसके फलस्वरूप हमारा वर्तमान तो प्रभावित है ही अपितु हमने हमारे भविस्य को भी संकट मे डाल दिया है।
आज विश्व के सभी देश स्वयं को विकसित एवं शक्तिशाली सिद्द करने की दौड़ मे परमाणु बम तथा हाएड्रोजन बम जैसी शक्तियों का निर्माण कर लिया है। जो न किसी देश को अपितु सम्पूर्ण विश्व को कुछ ही समय मे नष्ट कर सकते है। यही नही आज हमने हमारी सूख-सुविधा की पूर्ति हेतु प्रकृति के कोषों का दोहन अनियंत्रित ढंग से करना प्रारम्भ कर दिया है जिसके फलस्वरूप आज प्रकृति के अपूर्व कोष समाप्त होने की कगार पर है।
जो हमारी भावी पीड़ी के लिए संकट की बात है। आज मनुस्य ने अपने विकाश के चलते वनों और पेड़-पौधो को ही काटना प्रारम्भ कर दिया। जिसका परिणाम यह हुआ की प्रकृति का सौन्दर्य तो नष्ट हुआ ही साथ में मनुस्य ने अपने लिए कठिन संकट भी उत्पन्न कर लिया है। इसके फल स्वरूप कम वर्षा या वर्षा का समय पर न होना वायु प्रदूषण, मृदा अपरदन जैसी अनेक समस्या उत्पन्न हो गई है। मनुस्य ने अपनी सुविधा हेतु मोटर वाहन आदि का निर्माण किया जिसके फल स्वरूप ध्वनि प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो चुकी है, जिसके कारण पागलपन व मानसिक तनाव जैसी बीमारियाँ पैदा होती है।
आज मनुस्य ने अपनी सुख –सुविधा और आलस्य की पूर्ति के चलते ऐसी अनेक समस्या उत्पन्न कर ली है। आज हम यह भूल गए हैं की हमारा यह जीवन इस प्रकृति की देन है और हम यह भी भूल गए है की यदि इस पृथवी पर जीवन है तो इसका कारण केवल पर्यावरण की उपस्थिती है। जहां हमारे जीवन हेतु आवस्यक वायु ,खाने के लिए भोजन रहने के लिए आवास पीने के लिए पानी उपलब्ध है। परंतु मानव यह भूल गया है की यह सब प्रकृति मे सीमित मात्र मे ही उपलब्ध है जिसका मानव अनियंत्रित ढंग से दोहन कर रहा है।
आज पर्यावरण प्रदूषण ने इतना विनाशकरी रूप धारण कर लिया जिसे देखकर वैज्ञानिको का कहना है की यदि जल्द ही पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्या को नष्ट नही किया गया तो सम्पूर्ण मानव जाती का अस्तित्व खतरे मे पड़ सकता है। आज विश्व की सभी महाशक्तियाँ इसी विषय पर विचारशील है की इस समस्या से कैसे बचा जाए। हमारे लिए यह आवस्यक है हम पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्या को समझे और उसे कम करने हेतु प्रयास करे यही समय की मांग है, एवं मानव जाती के अस्तित्व को बचाने हेतु एकमात्र विकल्प है।